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निधि एंड द सीक्रेट आइडेंटिटी भाग 2

3

    केस
    
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    रात के तकरीबन 11:00 बजे चाय के कप के साथ निधि ने केस के बारे में सुनना शुरू किया।
    
    "यह बात पिछले साल से शुरू होती है। इराक के प्रधानमंत्री युनिस खान इंडिया के दौरे पर आए थे। उन दिनों इराक सीरिया के साथ जंगीय हालातों से जूझ रहा था जो आज भी जारी है।  इराक के प्रधानमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री दोनों के बीच लंबी वार्ता चली। गृहमंत्री के साथ साथ मैं भी उस वार्ता में शामिल था। इराक के प्रधानमंत्री ने इंडिया से उनकी मदद करने को कहा लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के चलते इंडिया सीधे-सीधे उनकी मदद नहीं कर सकता था। अंत में भारत के प्रधानमंत्री ने फैसला किया कि वह खुफिया तरीके से इराक की मदद करेगा। देश के गृहमंत्री भी इस बात से सहमत थे। मैंने भी अपनी सहमति उन्हें दे दी। आखिर में योजना बनाई गई। भारत खुफिया तरीके से सीरिया के शासक को मार देगा। सीरिया का शासक तानाशाही था। उनके लोग भी उनसे परेशान थे। इराक ने इस मदद के बदले अपने तेल के भंडारों का 20% हिस्सा भारत को देने का वादा किया। तानाशाही शासन के चलते मुझे भी इस बात में कोई आपत्ति नहीं थी। इस काम का एग्रीमेंट बना लिया गया। एग्रीमेंट के बाद मुझे इस काम को पूरा करने की जिम्मेदारी सौपीं गई। तकरीबन तीन महीनों के अंदर अंदर हमने इस पर काम करना शुरू कर दिया। हम लोगों ने योजना बनाकर तीन मुख्य स्टेप डिसाइड किए। पहले स्टेप में हम लोग इराक में अपना बेस बनाएंगे। दूसरे स्टेप में सीरिया पहुंचेंगे। और तीसरे स्टेप में काम को अंजाम देंगे। काम शुरू करने के बाद सबसे पहले ईराक में सरकार की मदद से बेस बनाई। इसके बाद एक-एक कर अपने एजेंट भेजने शुरू कर दिए। उन एजेंट का काम सिर्फ इस मिशन को अंजाम देने के लिए एक जरूरी प्लेटफॉर्म तैयार करना था। धीरे-धीरे हमने वहां की एजेंट का कार्यक्षेत्र बढ़ाया और दूसरे स्टेप की तैयारी करने लगे।अगले तीन महीनों के अंदर हमारे एजेंट सीरिया में खुद को स्टेबलिश करने में कामयाब रहे। हमने खुफिया तरीके से सीरिया में भी अपने पैर जमा लिए। सब कुछ सही था। अब योजना के आखिरी चरण पर काम करना बाकी था। सीरिया के शासक को मारने के लिए हमने अपने सबसे बेस्ट तीन एजेंट चुने और उन्हें इराक भेज दिया। उन तीन एजेंट में से एक एजेंट इराक में ही रुका और बाकी के दो एजेंट सीरिया में गए। लेकिन....
    
    लेकिन प्रधानमंत्री को मारने से ठीक दो दिन पहले अचानक खबर आई कि हमारे तीनों एजेंट मारे गए। कैसे?? नहीं पता!! उनकी लाश वहां की सरकार ने जप्त कर ली। इससे पूरा डिपार्टमेंट सदमे में आ गया। यह काम बहुत ही खुफिया तरीके से किया गया था। एक भी गलती की गुंजाइश नहीं थी। इसके बावजूद यह हुआ। मैंने मिशन को कुछ समय के लिए रोक दिया और अंदरूनी तौर पर जांच करना शुरू कर दिया। जांच में सामने आया कि वहां के कुछ एजेंट और यहां के कुछ एजेंट, उन्होंने मिलकर हमें धोखा दिया है। हमारे हाथ पैर बंध चुके थे। इसके बाद हम चाह कर भी अगला कदम नहीं उठा सके। इसी समय सरकार ने हम पर इस काम को पूरा करने का दबाव बना दिया। अब यह 3 दिन पहले की बात जब मैं मीटिंग अटेंड करने गया था तो  सरकार ने सीधे-सीधे शब्दों में कहा दिया कि जैसे तैसे कर इस काम को पूरा किया जाए। सीरिया के प्रधानमंत्री का तानाशाही शासन बढ़ता जा रहा है। उसने लोगों को जबरन सेना में भर्ती करना शुरू कर दिया है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो एक दिन इराक जंग में हार जाएगा। अमेरिका जैसे देश भी इस मुद्दे में दखलअंदाजी नहीं दे रहे। ऐसे में एकमात्र उम्मीद सिर्फ और सिर्फ भारत देश से हैं। मेरे पास उनके इस दबाव के आगे किसी भी तरह के दूसरे कदम उठाने का सामर्थ्य नहीं था। एजेंसी के एजेंट धोखा दे रहे हैं .... ऐसे में "
    
    निधि के हैरानी की कोई सीमा नहीं थी। यह एक ऐसा मिशन था जिसके बारे में उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। उसे तो लगा था की कोई कत्ल का केस होगा या फिर चोरी का। जासूस अक्सर यही काम करते हैं.... लेकिन यह स्पेस एकेडमी थी। यहां पर ऐसे ही केस आते हैं। और यह मामला और भी अलग था। इसमें दूसरे देश में जाकर उस देश के प्रधानमंत्री को खत्म करना था......।
    
    निधि के अंकल ने निधि की खामोशी देखी और खड़े होते हुए कहा "तुम घबराओ मत, तुम्हारा काम प्रधानमंत्री को मारना बिल्कुल भी नहीं!!"
    
    "क्या!!" निधि की हैरानी कम होने की बजाए और बढ़ गई। "अगर प्रधानमंत्री को मारना मेरा मिशन है तो फिर क्या है...??" उसने अगले ही पल पूछा।
    
    "तुम इस खतरनाक काम को अंजाम नहीं दे सकती, इसके लिए मैंने दूसरा आदमी रख रखा है पर उसको भेजने से पहले उसके लिए जमीन तैयार करनी होगी। तुम्हारा काम सिर्फ वहां जाकर यह पता करना है कि उन तीनों एजेंटों की मौत के पीछे कौन हैं?? इसके अतिरिक्त तुम यह भी पता करोगी वहां हमारे कितने लोग हैं जो हमारे खिलाफ काम कर रहे हैं??
    
    "मतलब आप इस मिशन का सिर्फ आधा काम करने के लिए मुझे कह रहे हैं" निधि बोली
    
    "हां क्योंकि तुम अभी इन्हीं कामों के काबिल हो। इन तीन एजेंटों की मौत की छानबीन कोई ऐसा वैसा काम नहीं, अगर यह हमारे खुद के देश में हुई होती तो शायद मुश्किल नहीं आती पर यह दूसरे देश के अंदर हुई है। तुम्हें सावधानी बरतनी पड़ेगी"
    
    पूरी बात सुनने के बाद निधि ने आश्वासन देने वाले अंदाज में कहा "आप फिक्र मत कीजिए, हो जाएगा.... "
    
    अंकल उसके पास आए और थोड़ा सहजता से बोले "मैं तो अभी भी चाह रहा हूं कि तुम्हें इस काम पर ना भेजूं"
    
    "अरे अंकल!! आपने कौन सा मुझे मुश्किल काम दिया है। यहां चने के झाड़ से आम थोड़ी ना तोड़ने हैं... अगर प्रधानमंत्री को मारने को कहा होता तब भी मानती.... यह तो छोटा सा काम है....जो भी हो ...अब यह एजेंट निधि का केस है............."
    
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4


    
    विनम्र और लुईस इल्लल्लाह ( सिरिया का प्रधानमंत्री)
    
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    इराक में एक नेता का कमरा।
    
    कमरे में टेबल पर कुछ फाइलें रखी हुई थी। उनमें से 2 फाइलें खुली थी और बाकी की फाइलें बंद । एक नौजवान युवक उस कमरे में कुर्सी पर बैठा था। उसके सामने ही एक आदमी था, लेकिन मरा हुआ। उसके सर के बीचो-बीच गोली मारी गई थी। नवयुवक के हाथ में पिस्तौल थी जिससे यह जाहिर होता है कि इसी ने उस आदमी को मारा है। वह कुर्सी पर बैठा एक के बाद एक फाइलों को देख रहा था। कुछ फाइलें देखने के बाद उसने अफसोस में गर्दन हिलाई और कहा "यहां ऐसा कुछ नहीं........बेचारा यह बिना मतलब के मारा गया" और फिर खड़ा होकर दरवाजे के पास आ गया। "सीरिया जाकर इस बात की सूचना देनी होगी...."
    
    सिरिया और इराक के बॉर्डर पर बनी एक जगह—
    
    चारों ओर सख्त तारबंदी थी। दो देशों की सीमाएं यहां अलग होती हैं ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था अपने सर्वोत्तम प्रकोष्ठ पर थी। सुरक्षा व्यवस्था में तार के एक और सीरिया की सेना अपना पहरा दे रही थी तो एक और इराक की सेना। बीच-बीच में टैंकों की मौजूदगी भी दिख रही थी। टैंकों के करीब ही मिसाइल लांचर लगे हुए थे। इन मिसाइल लांचरों से हटकर सैनिक बेस बने हुए थे। प्रत्येक सैनिक बेस में 10 से 15 सैनिकों के ठहरने की जगह थी। इन सैनिकों के बेस के ऊपर सैनिक टावर थे। यह सैनिक टावर दूसरे देश की सीमा में तांका झांकी करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। जमीनी सतह पूरी तरह से रेतीली थी।
    
    अचानक दूर से वही नवयुवक खुले मैदान में चलता हुआ दिखाई दिया, जिसने एक आदमी के सर पर गोली मारी थी। उसके हाथ ऊपर थे। उम्र तकरीबन 21 साल, शरीर पर फटे हुए भारी भरकम कपड़े। आंखें आकर्षित और पीले रंग की थी। वह इराक से सीरिया की तरफ जा रहा था।
    
    टावर पर खड़े सेनिक की नजर उस पर पड़ी, उसने तुरंत अपना वायरलेस उठाया और नीचे बेस के लोगों को इस बात की सूचना दी।
    
    देखते ही देखते 10 जवानों की एक टुकड़ी हथियारों के साथ वहां आ पहुंची।
    
    "कौन हो तुम और यहां क्या कर रहे हो??" सैनिकों ने उससे पूछा।
    
    "बताता हूं, लेकिन पहले मुझे कमांडर से मिलवाओ"
    
    टुकड़ी ने उस आदमी को पकड़ा और बेस में ले गए। तकरीबन 5 मिनट बाद टुकड़ी का कमांडर वहां आया और पूछा "कौन हो तुम, और यहां किस मकसद से आए हो?? क्या तुम सीरिया के जासूसों या फिर इराक के कोई बागी हुए मुजरिम?? जो भी हो सच सच बताना, अगर झूठ बोलने की कोशिश की तो अल्लाह कसम पूरी की पूरी बंदूक तुम्हारे सीने में खाली कर दूंगा"
    
    नवयुवक ने कुछ नहीं कहा। कमांडर दोबारा धमकी वाले अंदाज में बोला "बताओ! कौन हो तुम!"
    
    "इराक का सीक्रेट एजेंट हूं" नवयुवक ने सामने से जवाब दिया।
    
    "सीक्रेट एजेंट!!" कमांडर और वहां खड़े सब लोग हैरान हो गए।
    
    "हां, सीक्रेट एजेंट। मेरा नाम विनम्र है और मैं यहां सीरिया के तानाशाही शासक लुईल इल्लल्लाह को मारने आया हूं।"
    
    "तुम्हें क्या लगता है तुम कहोगे और हम मान लेंगे" कमांडर ने सख्त लहजे में कहा।
    
    "मेरे पास सबूत है" विनम्र बोला और कुछ दस्तावेज निकालकर उनके सामने रख दिए। देखो!! इसमें मेरा तो कुछ नहीं जाता, अगर सीरिया का शासक मर गया तो तुम लोगों का ही भला होगा…. मुझे इस मिशन के लिए स्पेशल ट्रेन किया गया है"
    
    कमांडर को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह आगे क्या बोले। सीरिया और इराक के बीच वर्षों से चली आ रही जंग के कारण ऐसे एजेंट बॉर्डर पर इधर-उधर होते रहते हैं।
    
    "तुम अकेले उसे कैसे मारोगे??" कमांडर ने थोड़ा नरम रुख अपनाया।
    
    "बहुत आसान है, उसके देश में घुसुगां, वहां जाकर बोलूंगा कि मैं सीरिया का जासूस हुं और इराक कि सेना से जुड़े कुछ जरूरी दस्तावेज लेकर आया हूं, वो लोग मुझे अपना जासुस समझेंगे और आसानी से लुईल इल्लल्लाह तक पहुंचा देंगे, जैसे ही मैं उसके सामने जाऊंगा गोली से उड़ा दूंगा"
    
    "यह काम इतना आसान नहीं बरखुरदर" कमांडर हंसता हुआ बोला।
    
    "उसकी चिंता आप मत कीजिए। मेरी वहां बड़े-बड़े लोगों से जान-पहचान हैं, कब कहां से कहां तक पहुंच जाऊंगा किसी को पता नहीं चलेगा"
    
    कमांडर सोच विचार में पड़ गया। "लेकिन तुम्हारे पास तो किसी भी तरह के दस्तावेज नहीं"
    
    "तो तुम लोग दे देना ना" विनम्र मुस्कुराकर बोला"वैसे भी अच्छे काम के लिए गलत काम किए जा सकते हैं"
    
    "हम लोग तुम्हें क्यों दस्तावेज दे, यह तो देश से गद्दारी करना होगा"कमांडर की आंखों में शिकन आ गई।
    
    "अरे मेरे मालिक" विनम्र खड़ा हुआ और कमांडर के करीब जाकर बोला "मैं कौन सा सही दस्तावेज देने को कह रहा हूं, झूठे दस्तावेज देने है आपको"
    
    इस बात ने कमांडर को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने सैनिकों के साथ सलाह मशविरा किया। फिर कैबिन में गया और कुछ कागज के टुकड़े लेकर उसके पास आ गया "यह लो, मेरे सैनिक तुम्हें बॉर्डर पार करवा देंगे... उसके बाद तुम जानो तुम्हारा काम जाने"
    
    विनम्र एक मुस्कुराहट दिखाई। "आप बहुत होशियार है मेरे मालिक"  और दस्तावेज उठाकर वहां से चला गया।
    
    उसके साथ एक सैनिक और था। वह सैनिक उसे बॉर्डर पार करवा रहा था। बॉर्डर के नजदीक पहुंचते ही विनम्र ने सैनिक को देखा और कहा "तुम लोगों को नहीं लगता तुम्हारा कमांडर बेवकूफ है"
    
    "क्या मतलब!!"
    
    "यही कि उसने एक अनजान शख्स पर इतनी आसानी से भरोसा कर लिया"
    
    "इराक की सेना अमन चाहती है,ऐसे में वह हर एक शख्स पर विश्वास करेगी जो सीरिया को खत्म करने की चाह रखता हो"
    
    विनम्र यह सुनकर हंसने लगा "शायद यही बात तुम लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी है"
    
    सैनिक ने विनम्र की शक्ल देखी "तुम कहना क्या चाहते हो... अपनी बात साफ-साफ कहो"
    
    विनम्र रुका और सैनिक की तरफ पलटा। "मेरे भाई!! मेरा नाम विनम्र हैं और मुझे धोखा देना बहुत अच्छे से आता है"
    
    तभी पीछे एक जोरदार धमाका हुआ और  बेस कैंप पूरा का पूरा उड़ गया। सैनिकों ने पलट कर पीछे अपने बेस की तरफ देखा। वहां एक के बाद एक धमाके हो रहे थे।
    
    "मतलब तुमने हमें धोखा दिया है" सैनिक गुस्से से बोला और पीछे मुड़ा, पर इससे पहले वह और कुछ करता विनम्र ने उसकी पीठ से उसका खंजर निकाला और उसी के सीने में घोप दिया। "मैंने कहा था ना…. विनम्र सिर्फ धोखा देता है"
    
    सैनिक को मारने के बाद उसने उसकी गर्दन काटी और खंजर वहीं फेंक दिया। इसके बाद वह बॉर्डर पार कर दूसरी तरफ सीरिया चला गया। उसके पास दस्तावेज के साथ-साथ एक सैनिक का सर भी थे।
    
    सीरिया के सैनिक विनम्र को देखते ही उसकी तरफ भागे और खुशी से उछलने लगे।"कमांडर आ गए.... कमांडर आ गए"
    
    "सर हमें नहीं पता आप अपना मिशन इतनी आसानी से पूरा करेंगे"सीरिया के एक सैनिक ने कहा
    
    "क्यों!!" विनम्र अजीब सी आंखें बनाकर उसे देखने लगा "क्या तुम्हें मुझ पर यकीन नहीं"
    
    "कैसी बातें कर रहे हैं सर आप!! आप हमारे कमांडर हो और हमें आप पर यकीन नहीं होगा, ऐसे कैसे हो सकता है"
    
    यह सुनकर विनम्र एक हल्की मुस्कान दिखाइए "यह हुई ना बात, वैसे जिस काम के लिए गया था वह पूरा नहीं हुआ। तुम ऊपर सूचना भिजवा दो कि हमें वह चीज नहीं मिली"
    
    "कौन सी चीज सर??" सैनिक ने एक पल रुक कर पूछा।
    
    "वह लोग अपने आप समझ जाएंगे.... तुम बस काम करो जिसके लिए कहा गया है। " विनम्र ने अपने चेहरे पर रौब दिखाते हुए उस आर्डर दिया। "अभी और भी बहुत सारे काम है जो मुझे निपटाने हैं"
    
    इतना कहकर विनम्र ने वहां खड़ी एक जीप पकड़ी और उस जगह से चला गया।
    
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5

    विनम्र का चार आदमियों को मारना और उसको ऑर्डर देने वाला अनजान आदमी
    
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    सीरिया
    
    किसी अनजान जगह पर।
    
    विनम्र कि जीप एक गली के बाहर आकर रुकी। अंधेरा हो चुका था और गली में भी सन्नाटा छाया हुआ था। विनम्र जीप से उतरा और पैदल ही गली में चलने लगा। आगे चलकर उसने एक घर का दरवाजा खटखटाया।
    
    अंदर से एक औरत ने दरवाजा खोला "जी कहिए"
    
    विनम्र ने उस औरत को देखा और हल्के अंदाज़ में मुस्कुरा कर कहा "क्या यह साइंटिस्ट आदित्य का घर है"
    
    "जी हां"
    
    "मैं उनसे मिलने आया हूं"
    
    "पर वह तो यहां नहीं है" औरत ने जवाब दिया।
    
    "मैं इंतजार कर सकता हूं" विनम्र ने एक पल अपनी घड़ी की तरफ देखा और फिर उस औरत को। उसकी उम्र तकरीबन 28 साल होगी। औरत ने भी अंदर दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा।
    
    "उन्हें 2 घंटे लग जाएंगे आने में"
    
    "इतने तो बहुत हैं"
    
    विनम्र अंदर जाकर सोफे पर बैठ गया। औरत किचन में गई और उसके लिए चाय बनाने लगी। "वैसे क्या मैं जान सकती हूं आप कौन हैं, और आपको उनसे क्या काम है" औरत ने किचन से ही पूछा।
    
    "जी नहीं!!"
    
    औरत यह सुनकर अजीब नजरों से उसकी तरफ देखने लगी। उसने कप में चाय डाली और उसके सामने जाकर रख दी। विनम्र भी उस औरत की तरफ देख रहा था। औरत को उसके इरादे ठीक नहीं लगे।
    
    "क्या हुआ??" विनम्र ने पूछा।
    
    औरत थोड़ा सा डर गई” कुछ नहीं..." वह हड़बड़ाते हुए बोली "मैं एक बार अपने पति को फोन कर लेती हूं"
    
    "जी करिए"
    
    यह सुनने के बाद औरत लैंडलाइन की तरफ गई और फोन उठाकर नंबर डायल करने लगी। लेकिन तभी..... पीछे से विनम्र मुस्कुराया और पिस्तौल निकालकर सीधे उसके सर पर गोली मार दी। गोली लगते ही उसका खून फोन पर गिरा और वह धड़ाम, नीचे फर्श पर।
    
    "मेरा तो तुम पर दिल आया था.... लेकिन नहीं!! तुम्हें तो अपनी पति की पड़ी है। कोई बात नहीं... भेजता हूं उसे भी तुम्हारे पास" विनम्र वापिस इंतजार करने लगा।
    
    रात के तकरीबन 11:00 बज विनम्र का इंतजार खत्म और एक अधेड़ 45 वर्ष की उम्र वाले व्यक्ति ने घर के अंदर दस्तक दी। सामने सोफे पर ही विनम्र बैठा था। उसे देखते ही वह चौंक गया।
    
    "तुम!! तुम यहां क्या कर रहे हो...??" उसने विनम्र को देखते ही पूछा।
    
    विनम्र मुस्कुराया और बोला "तुम्हारी मौत की तैयारी। सुना है तुमने सीरिया की मदद करने से इनकार कर दिया है। तुम अब उनके लिए एडवांस हथियार नहीं बनाओगे"
    
    "हां" सामने से आदमी ने जोर से कहा "सीरिया के प्रधानमंत्री का मकसद इन हथियारों को लेकर बहुत गलत है, और मैं ऐसे काम में उनका साथ बिल्कुल नहीं दूंगा।"
    
    "बेटा!!" विनम्र पिस्तौल निकालते हुए बोला "इसलिए तो तुम्हारी इस दुनिया से टिकट कट रही है" और धाएं इसके बाद उस पर भी गोली चला दी।
    
    बिना आवाज किए गोली सीधे उसकी गर्दन के आर पार हो गई।
    
    उन दोनों को मारने के बाद विनम्र ने जीप निकाली और वहां से चला गया।
    
    ठीक अगले 2 घंटे बाद उसकी जीप एक बंगले के सामने जाकर रुकी। वह गाड़ी से उतरा और बंगले में चला गया।
    
    बंगले में अगले पल वह टेबल पर डिनर कर रहा था। उसके साथ चार आदमी और थे। सब की दाढ़ी बड़ी बड़ी थी।  दिखने में बगदादी आतंकवादी का समूह लग रहा था।
    
    विनम्र ने उनसे बात करना शुरू किया "तुम लोग जिस साइंटिस्ट को किडनैप करके लाए थे उसने काम करने से मना कर दिया!!"
    
    "हां हमने भी सुना है" सामने से एक आदमी ने जवाब दिया
    
    "इसलिए आज उसे मार दिया"
    
    "क्या" चारों एक साथ बोले।
    
    "हां" विनम्र ने जवाब दिया। "ऊपर से ऑर्डर आए थे। उन्होंने कहा है कि हमें ऐसे लोगों की बिल्कुल जरूरत नहीं जो काम ना करें"
    
    "तुमने बहुत अच्छा काम किया..." दूसरे आदमी ने कहा
    
    "हां जानता हूं। लेकिन पूरी बात तो सुन लो, यह भी ऑर्डर आए हैं कि उन आदमियों का भी कोई काम नहीं जो खराब आदमियों को लेकर आए।"
    
    "क्या मतलब" एक-एक कर चारों आदमियों ने विनम्र से कहा।
    
    “धोखा इंसान के खून में होता है, यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार है और तुम इसे छीन नहीं सकते” फिर वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और अपनी पीठ में खंजर निकालते हुए सामने के एक आदमी की गर्दन के आर पार कर दिया।
    
    सब सकते में आ गए और अपनी अपनी जगह पर खड़े होते हुए बंदूकें निकाल ली। विनम्र तुरंत सावधान हुआ और टेबल उठाकर उनके ऊपर फेंक दिया। सब टेबल के भार से नीचे गिर गए और अगले कदम के लिए असहाय हो गए।
    
    पास ही खिड़की थी। विनम्र खिड़की की तरफ गया और पीछे उन्हें देख कर मुस्कुराया। फिर चार ग्रेनेड निकालें और वहां फेंककर नीचे कूद गया।
    
    एक के बाद एक मकान में कई सारे धमाके हुए, धमाके इतने बड़े थे कि उसमें किसी के भी बचने की उम्मीद नहीं थी। अंदर मौजूद सभी लोग मारे गए।
    
    इस घटना के बाद विनम्र दूर एक सड़क के एक किनारे बैठा था। उसने अपना फोन निकाला और मैसेज टाइप किया— "सारी मुसीबतें रास्ते से हट गई है, कोई और काम हो तो बता देना"
    
    सामने से रिप्लाई आया "अमेरिका से किसी साइंटिस्ट को सीरिया लाने की तैयारी की जा रही हैं। साइंटिस्ट को एडवांस बेस में लेकर आना है पर वह अभी तैयार नहीं। उसकी सुरक्षा देश के लिए इंपोर्टेंट है। जब तक बेस तैयार नहीं हो जाती उसके साथ रहो।"
    
    "ठीक है, हो जाएगा"
    
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6


    
    अमेरिका से साइंटिस्ट जार्ज इरविन का किडनैप होना
    
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    U.S.A.
    
    संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका।
    
    एक बड़े हॉल में अति प्रभावशाली लोगों का भारी जमावड़ा था। सभी जाने-माने देशों के प्रतिष्ठित नागरिक लग रहे थे। मौजूद लोगों की उम्र तकरीबन 25 से लेकर 70 साल के बीच बीच होगी। महिलाओं की संख्या पुरुषों के तुलना मैं आधी थी। हॉल के सामने एक लंबा केबिन बना हुआ था जिस पर 9 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी। इस केबिन के सामने दूसरे छोटे-छोटे कैबिन बने हुए थे जहां एक एक व्यक्ति बैठ सकता था। ऐसे तकरीबन 216 छोटे केबिन थे। कुल मिलाकर हॉल में बैठने वाले लोगों की संख्या 225 थी। यह 225 सदस्य विभिन्न देशों के विशिष्ट नागरिक, वहां के जाने माने वैज्ञानिक, सलाहकार इत्यादि हैं। इन्हें महान राष्ट्र संघ में अपने विचारों को रखने के लिए प्रतिवर्ष अमेरिका भेजा जाता है। आज कुछ इसी तरह का समारोह है जहां यह लोग अलग-अलग अपने विचार रखेंगे।
    
    हाॅल के ऊपर लगी घड़ी में 9:00 बजे का इशारा हुआ और सब लोग एक-एक कर अपनी-अपनी जगह पर बैठने लगे।काफी सारे प्रभावशाली लोगों में एक खास तरह का व्यक्ति भी नजर आ रहा था, जिसकी चश्मा सभी के लिए आकर्षण का केंद्र था। उस चश्मे का एक सीसा काफी छोटा और एक शीशा काफी ज्यादा बड़ा था। ऐसी चश्में दुनिया में किसी को लगे हुए शायद ही देखने को मिले। उस शख्सियत जिस के चश्मे का आकार छोटा बड़ा था, उसने नीले रंग का कोट पेंट और सफेद जूते पहन रखे थे। उम्र तकरीबन 50 साल के आसपास होगी। इस उम्र का अंदाजा उसके चेहरे से तो नहीं लगता, पर दाढ़ी देखकर लगाया जा सकता था। मुंह में एक पाइप थी जिसके दूसरे छोर पर पेन की निब लगी हुई थी। शायद यह एक खास तरह का पेन था जिसे उस शख्स को मुंह में लेने की आदत थी।
    
    अचानक उसके बगल एक हसीन औरत उसके कान में फुसफुसाई "जार्ज इर्विन, मैं आपकी कला की बहुत बड़ी फैन हूं"
    
    जॉर्ज इरविन, उस शख्स का नाम जार्ज इरविन था। वह उस हसीन औरत की तरफ मुड़ा और ऊपर से लेकर नीचे तक उसे पूरी तरह से देखा। उसकी उम्र तकरीबन 25 साल के आसपास होगी, शरीर आकर्षित था और मन लुभाने वाला भी, कपड़े भी अजीब तरह के पहन रखे थें। एक नजर जांच करने के बाद जार्ज इरविन उसके करीब आया और कानों में बोला “बड़ी फैन हो तो बताओ, तुम मेरे लिए क्या कुछ कर सकती हो??"
    
    औरत खिलखिला कर हंस दी। थोड़ी अजीब हंसी थी पर इस पर कौन ध्यान दे रहा है। उसने बड़े ही नाजुक तरीके से कहा"कुछ भी" फिर रुकी और दोबारा बोली "कुछ भी मतलब कुछ भी!!"
    
    जार्ज इरविन के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई "अच्छा तो आज रात को 9:00...सेकिना होटल, कमरा नंबर 302"
    
    औरत फिर खिलखिलाकर हंसी। "मुझे खुशी होगी,जनाब"
    
    "मुझे भी" जार्ज इरविन ने कहा और अपना पूरा ध्यान सामने की तरफ लगा लिया। सामने की सारी कुर्सियां भर चुकी थी।
    
    बड़े केबिन में 9 लोगों के समूह में से एक व्यक्ति ने मैज खटखटाया और कहा "इस साल सभी देश आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ के बैंक ने फैसला किया है कि वह किसी को भी अतिरिक्त ऋण नहीं देगा। तमाम खर्चे कम किए जाएंगे और देशों से उनका पैसा वसूला जाएगा।"
    
    यह सुनते ही सब में कानाफूसी होने लगी।
    
    "इतना ही नहीं, समंदर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से बाहर तेल के समस्त भंडार अब संयुक्त राष्ट्र संघ के अंडर में रहेंगे। वहां से तेल का निर्यात और आयात रोका जाएगा। तेल की उन भंडारों का अब तभी इस्तेमाल किया जाएगा जब देश आर्थिक तंगी से बाहर आ जाएंगे। तमाम वैज्ञानिक प्रशिक्षण और प्रयोगों के लिए भी किसी तरह की राशि नहीं दी जाएगी"
    
    अचानक प्रशिक्षण का नाम सुनते ही जार्ज इरविन कि हाथ पैर लड़खड़ा गए। वह तुरंत खडा हुआ और बीच में ही बोल पड़ा। 'माफ करनामाफ करना जनाब, मैं यहां अपने वैज्ञानिक प्रशिक्षण के मुद्दे को लेकर आया था। मुझे एक बहुत बड़ा एक्सपेरिमेंट करना है जिसके लिए काफी सारी रकम चाहिए"
    
    9 लोगों के समूह वाले उस व्यक्ति ने उसकी तरफ उंगली की और कहा"आपने सुना नहीं, मैंने अभी-अभी क्या कहा…. संयुक्त राष्ट्रीय संघ अब किसी भी वैज्ञानिक प्रशिक्षण के लिए रकम नहीं देगा, वह अब कंगाल हो चुका है... उसके पास इतने पैसे नहीं कि वह आप लोगों की दिक्कतों को हल करें"
    
    "पर जनाब, मेरा यह प्रयोग तमाम तरह की दिक्कतों को दूर कर सकता है"
    
    सामने वाले व्यक्ति ने अपने हाथ जोड़ दिए "माफ करें,पिछले कई सालों से इन वैज्ञानिक प्रयोगों ने हमें बर्बाद करके रख दिया है। अब हम कोई खतरा नहीं उठाएंगे। उत्तरी देशों में अकाल और पश्चिम देशों की भुखमरी ने विश्व की हालात को बदतर कर दिया है। पूर्वी देश अंदरूनी जंग से गुजर रहे हैं और दक्षिण देश बाढ़ के चपेट में आ रखे है। इन बदलते हालातों में अब संयुक्त राष्ट्रीय संघ को भविष्य के लिए भी कुछ बचाना होगा। अन्यथा एक दिन पूरी आबादी खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएगी और हम हाथ पर हाथ रख इसे देखते रहेंगे।"
    
    जार्ज इरविन अपनी बात को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट था। उसने दोबारा एक अंतिम कोशिश की "पर जनाब, अगर आप एक बार मेरी बात सुन ले और अगर इस पर कोई राय लें तो शायद हो सकता है हम इस खतरे को आसानी से दूसरी दिशा में मोड़ सके।"
    
    "नहीं, हमें कोई बात नहीं सुननी" उस आदमी ने अपना ध्यान हटाकर दूसरी तरफ कर लिया जहां और लोग अपने इसी तरह के विचार भारी भरकम शोर के अंदर रख रहे थे।
    
    जार्ज इरविन जवाब सुनने के बाद वहीं बैठ गया और लंबी लंबी सांसे लेने लगा। पास की औरत ने उसे झकझोरा "आप घबराएं नहीं,महान लार्ड, सब ठीक हो जाएगा"
    
    जार्ज इरविन  औरत की यह अटपटी सी बात सुन गुस्से से भड़क उठा "तुम चुप रहो पागल औरत, तुम इस बात को नहीं समझ सकती" इसके बाद वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और बाहर की तरफ चला गया।
    
    बाहर जाने के बाद जार्ज इरविन ने टैक्सी पकड़ी और उसे होटल जाने को कहा। औरत भी उसके पीछे पीछे हो गई। वह भी एक टैक्सी पकड़कर उसका पीछा करने लगी। जार्ज इरविन की टैक्सी एक होटल के सामने रुकी। वह टेक्सी से उतरा और किराया देने के बाद तेजी से कमरे की ओर चला गया।
    
    इसके ठीक बाद उसका पीछा कर रही औरत भी वहां पहुंची। वह भी किराया देकर उसके पीछे-पीछे चली गई।
    
    कमरे में पहुंचते ही जॉर्ज इरविन ने अपनी समान गुस्से में बेड पर पटक दिया "इन लोगों की तो मैं ऐसी तैसी कर दूंगा, उन्होंने मेरे प्रयोग को बिना सुने... इतनी बड़ी बेइज्जती.... मैं बर्बाद कर दूंगा सबको"
    
    अचानक उसके कमरे का दरवाजा खुला और पीछा कर रही औरत ने अंदर दस्तक दी। अंदर आते वक्त वह रास्ते में ही एक-एक कर अपने कपड़े उतार रही थी। दरवाजे से लेकर साइंटिस्ट तक पहुंचते-पहुंचते वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई। "मैंने कहा ना आप चिंता मत करें, आपके पैसों का इंतजाम हो जाएगा। ….. चाहे कुछ भी हो जाए हम आपके एक्सपेरिमेंट को कामयाब करके ही रहेंगे"
    
    "पर तुम हो कौन"जॉर्ज इरविन ने अपना अजीबोगरीब चश्मा उतारते हुए उससे पूछा।
    
    औरत ने उसे कोई जवाब नहीं दिया, सिर्फ इतना कहा "यह जानना जरूरी नहीं" इसके बाद उसे धक्का मार कर बेड पर गिरा दिया।
    
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    इस कमरे के बगल में तीन कमरों की दूरी पर कुछ आदमी इस पूरे दृश्य को कैमरे से देख रहे थे। कमरे में तकरीबन 7 से 8 आदमी थे। तमाम आदमियों की दाढ़ी बड़ी-बड़ी और सफेद रंग की थी, देखने में किसी बगदादी आंतकवादी का समूह लग रहा था।
    
    उन आदमियों में से एक आदमी कैमरे में इस दृश्य को देखते हुए बोला। "शिकार को हरी घास मिल चुकी है, अब उसे पिंजरे में डालने की तैयारी करो... यह पागल सा साइंटिस्ट अब हमारी तकदीर बदलेगा…विज्ञान की ताकत अपरंपार है, यह परम पिता परमात्मा को भी मात दे सकती है"
    
    सब लोग उसकी यह बात सुनकर एक शैतानी हंसी हंसने लगे।
    
    उस व्यक्ति ने एक सेटेलाइट फोन निकाला और किसी से बात करने लगा "काम तो बहुत अच्छे से हुआ है जनाब, हमारी जानेमन ने उसे अपने जाल में बुरी तरह से फंसा दिया है, ऊपर से उसे पैसों का लालच भी दे दिया।; नहीं नहीं, किसी बात की फ़िक्र ना करें, सब सही है; जरूर जरूर, हम देशों की आर्थिक मंदी का फायदा अपने लिए उठाएंगे; माशा अल्लाह; जल्द ही उसे सिरिया लाने की तैयारी करते हैं;आमीन"
    
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7


    
    निधि का इराक जाना
    
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    2 दिन बाद। शाम को
    
    गोवा के आर्मी एयरपोर्ट के बाहर निधि और उसके अंकल अकेले खड़े थे। निधि के अंकल ने कुछ जरूरी दस्तावेज निधि को पकड़ाए और कहा "वहां तुम्हें हमारा एक आदमी मिलेगा, 'वकार अहमद'। वह तुम्हारी मदद आगे के रास्ते के लिए करेगा। मैंने उसे तुम्हारे आने की इंफॉर्मेशन दे दी है। उसने कहा है की वह राजधानी की मस्जिद से तुम्हें पिकअप कर लेगा। मस्जिद मुख्य बाजार के बगल में ही हैं इसलिए ढूंढने में दिक्कत नहीं आएगी। किसी से रास्ता पूछ भी सकती हो।"
    
    "आप फिक्र ना करें अंकल!!" निधि ने कहा और उन्हें गले लगा लिया। इसके बाद उसने अपना सामान उठाया और एरोप्लेन में बैठ गई।
    
    तकरीबन 3 घंटे बाद रात के अंधेरे में आर्मी का एरोप्लेन बिना आवाज किए इराक की राजधानी में उड़ रहा था। वह राजधानी के किनारे पर था। ऊंचाई एक सुरक्षित सीमा पर, जहां से रडार उसे पकड़ ना पाए। थोड़ी देर बाद नीचे रेतीले टीलों को देखकर पायलट ने निधि को लैंडिंग करने के संकेत दिए। पायलट का इशारा मिलने के बाद निधि ने एक अच्छी सी जगह देखी और छलांग लगा दी।
    
    बीच रास्ते में आने पर उसने अपना पैराशूट खोल दिया और धीरे-धीरे नीचे उतरने लगी। जमीन पर गिरते ही वह फिसलते हुए संभली और बालू पर अपने पैर जमा लिए। इसके बाद जल्दी-जल्दी उसने पैराशूट को समेट कर उसे मिट्टी में गाड़ दिया। फिर वह पैदल ही राजधानी की तरफ जाने लगी।
    
    शहर में आने से पहले ही उसने अपने कपड़े बदल लिए थे और इराकी सरजमीं की वेशभूषा धारण कर ली थी। इस वेशभूषा में उसे पहचानना मुश्किल था। शहर के पास आते ही उसने भेड़े चरा रहे एक गडरिए को रोका और उससे वहां की भाषा में मुख्य बाजार जाने का रास्ता पूछा। अरबी ने उसे एक दिशा दिखा दी। जब उसके अंकल ने उसे मिशन के बारे में बताया था तब कहा था कि शहर के मुख्य बाजार में उसे एक आदमी मिलेगा जो आगे की मिशन में उसकी मदद करेगा। उस आदमी का नाम वकार अहमद होगा और उसे इस बात की जानकारी भी है कि निधि वहां आ रही है। इराक  में एजेंसी से जुड़े तमाम कामकाज वकार अहमद ही संभालता है।
    
    शहर के मुख्य बाजार में आने के बाद निधि ने वहां की रौनक देखी। पूरा बाजार लोगों से भरा पड़ा था, तरह-तरह की दुकानें थी लेकिन ज्यादातर लोग या तो बच्चे थे या फिर बूढ़े। निधि ने एक दुकान पर खड़े होकर कुछ सामानलिया और फिर उस दुकान वाले से मस्जिद जाने वाली गली का रास्ता पूछा। मिशन के हिसाब से दोनों की मुलाकात मस्जिद के पीछे वाली गली में होनी थी। आदमी ने निधि को मस्जिद की गली का रास्ता दिखा दिया।
    
    मस्जिद ज्यादा दूर नहीं थी इसलिए पहुंचने में वक्त नहीं लगा। वहां पहुंचती ही वह सीधे मस्जिद के पीछे चली गई और वकार अहमद का इंतजार करने लगी। लोगों की आवाजाही सब तरफ तेज थी लेकिन पीछे वाली गली में अभी तक कोई नहीं आया।
    
    तकरीबन 20 मिनट के इंतजार के बाद एक सफेद दाढ़ी वाला आदमी गली से  गुजरा। निधि ने उसे देखा पर बुलाया नहीं। वो आदमी सीधे निकल गया। तकरीबन 2 मिनट बाद वह आदमी वापस उस गली में आया। इस बार भी वह जैसे आया था वैसे ही निकल गया। निधि को यह थोड़ा अजीब लगा, उसने अपने पैरों से खंजर निकाला और उसे पीठ के पीछे छुपा लिया। बुड्ढा आदमी फिर से गली में नजर आया पर इस बार सीधे निधि के पास आ गया। निधि ने कोई हरकत नहीं की।
    
    "क्या तुम निधि हो??" सामने से उसने पूछा।
    
    "हां, और आप??"
    
    "वकार अहमद, वह आदमी जिसे तुम्हारी मदद करनी है"
    
    "लेकिन आप गली के चक्कर क्यों लगा रहे थे??" निधि ने बिना किसी झिझक सीधे पूछ लिया। वकार अहमद तकरीबन 55 वर्ष की उम्र वाला व्यक्ति होगा। उसके चेहरे पर झुर्रियां थी और आंखों की पुतलियां लगभग बाहर आई हुई थी।
    
    "यह देखने के लिए की यहां कोई हम पर निगरानी तो नहीं रख रहा" वह आगे बोला "आओ, मेरे पीछे पीछे आओ"
    
    निधि बिना किसी सवाल उसके पीछे चलने लगी। दोनों मस्जिद के आगे से निकले और मुख्य शहर से होते हुए दूसरी गली में चले गए। इस गली में तकरीबन तीन मंजिल के काफी सारे घर बने हुए थे। घर की दीवारों को मरम्मत की आवश्यकता थी।
    
    काफी सारे घरों के गुजरने के बाद वह दोनों एक तीन मंजिला घर में घुस गए जो दूसरे घरों से थोड़ा सा अलग था। इसकी दीवारें कुछ ज्यादा ही कमजोर थी। दोनों इस घर की दूसरी मंजिल में गए और एक कमरे के सामने जाकर रूक गए। वकार अहमद ने आगे बढ़कर दरवाजा खटखटाया।
    
    दरवाजा खटखटाने के बाद अंदर से किसी की चलने की आवाज आई और एक बूढ़ी औरत ने दरवाजा खोला "ओह आप आ गए" उसने सलाम कहते हुए वकार अहमद को कहा। "हां, वो लड़की भी आ गई है"  बूढ़ी औरत ने निधि को भी सलाम किया।
    
    सब अंदर आ गए। वकार अहमद ने एक कुर्सी खिसकाई और उसे निधि को बैठने के लिए दिया। निधि ने अपना लंबा-चौड़ा बुर्का उतारा और उसे साइड में रख कुर्सी पर बैठ गई। बूढ़ी औरत उसे थोड़ी तिरछी नजरों से देखा। वकार अहमद भी उसके सामने रखी कुर्सी पर बैठा और बूढ़ी औरत को कुछ खाने पीने के लिए लेकर आने को कहा। वह अभी भी निधि को घूर रही थी। वकार अहमद ने उसे दोबारा बोला जिसके बाद वह अंदर किचन की तरफ चली गई।
    
    "और.. तुम्हें यहां आने में किसी तरह की दिक्कत तो नहीं हुई??"
    
    निधि मुस्कुराई और मुस्कुरा कर कहा "जी नहीं नहीं, किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई"
    
    "अल्लाह का शुक्र है" वकार अहमद बोले और साथ वाले कमरे के दरवाजे की तरफ देखने लगे। वहां से बूढ़ी औरत चाय और खाने के सामान के साथ लड़खड़ाते हुई आ रही थी। उसने चाय और खाने का सामान मेज पर रखा और वापस चली गई।
    
    "लो, नाश्ता करो" वकार अहमद ने निधि को नाश्ता करने को कहा और खड़े होकर खुद बाहर वाले दरवाजे की कुंडी बंद करने चलें गए।
    
    निधि ने पीछे से उन्हें शुक्रिया कहा और चाय का कप उठाकर कुर्सी पर आराम से बैठ गई।
    
    वकार अहमद ने दरवाजे की कुंडी बंद की "मुझे कैप्टन रोड ने बताया था कि तुम यहां सिर्फ कुछ दिनों के लिए आई हो, जब तुम्हारी कार्रवाई पूरी हो जाएगी तुम चली जाओगी।"
    
    "जी हां"
    
    "वैसे तो तुम्हें यहां किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन आर्मी और पुलिस से बचकर रहना पड़ेगा। जंग का माहौल है तो कभी भी कुछ भी हो सकता है"
    
    "जी हां" निधि ने फिर से जवाब में सर हिलाया।
    
    "तुम अपना काम कल सुबह से शुरू कर सकती हो…. मैं तुम्हें सबसे पहले वह जगह दिखा दूंगा जहां तीनों एजेंट रहते थे। तीन में से एक एजेंट यहीं मरा है जबकि बाकी के दो एजेंट सीरिया में मारे गए थे।"
    
    "हममम"
    
    "यहां रहने वाले एजेंट को हार्टअटैक आया था, ऐसे में संभावना है कि उसे जहर दिया गया हो अब जहर किसने दिया है नहीं पता"
    
    निधि रुकी और बोली "अगर जहर दिया गया है तो क्या पता वह खाने वाली चीज में दिया होगा" उसने इस हिसाब से कहा जैसे उसे लगा कि शायद यह किस्सा आसानी से सुलझा लेगी।
    
    "हां, लेकिन वह अपना खाना खुद बनाता था” इसके बाद निधि बिल्कुल खामोश हो गई।
    
    चाय पीने के बाद वकार अहमद खड़ा हुआ और उसने एक दूसरे कमरे का दरवाजा खोला। "तुम आज रात को यहां सो सकती हो"
    
    निधि ने उठ कर कमरे की हालत देखी। यह कबाड़ से कम नहीं था। "क्या यह हमारी बेस है" उसने बड़ी हैरानी से पूछा।
    
    "हां!! हम लोग अमेरिका या ब्रिटेन में नहीं .....इराक में है.... और यहां हमें ऐसी बेस बनाने की ही इजाजत मिली है"
    
    जवाब में निधि ने कहा "ठीक है, मुझे किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी"
    
    वकार अहमद ने एक हल्की सी मुस्कान दिखाइ और फिर निधी को वहीं छोड़ चला गया। उसके जाने के बाद निधि ने कमरे का दरवाजा बंद किया और कमरे की दूसरी चीजों को देखने लगी।
    
    वहां एक टूटा हुआ पलंग, एक पुराना सोफा, कुछ टूटी हुई कुर्सियों का ढेर और एक अलमारी थी। निधि टूटे हुए पलंग पर जाकर बैठ गई और सोचने लग गई।
    
    "बंदा तो यह भी कम नहीं…. हो सकता है यह भी साजिश में शामिल हो…. किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता….. निधि तुम्हें सावधान रहना होगा"
    
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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 09:18 PM

Good story

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Zaifi khan

30-Nov-2021 07:33 PM

Good story

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Ammar khan

30-Nov-2021 12:27 PM

Good

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